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वसंत पंचमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे ज्ञान, विद्या और कला की देवी माँ सरस्वती की आराधना के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को शिक्षा, संगीत और कला से जुड़े लोगों के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यह दिन न केवल भारत बल्कि नेपाल और बांग्लादेश में भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
वसंत पंचमी 2025 2 फरवरी को मनाई जाएगी। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आता है। इस दिन से बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है, जिससे वातावरण में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार होता है।
वसंत पंचमी को माँ सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन माँ सरस्वती का अवतरण हुआ था, जिनकी कृपा से बुद्धि, ज्ञान और सृजनात्मकता का विकास होता है। इस दिन शिक्षा और विद्या के क्षेत्र में कार्यरत लोगों के लिए विशेष पूजन का महत्व होता है।
वसंत पंचमी के अन्य प्रमुख महत्व:
यह दिन ज्ञान और संगीत से जुड़े लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस दिन पीले वस्त्र धारण करने की परंपरा है, जो समृद्धि और ऊर्जा का प्रतीक है।
इस दिन को विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए अत्यंत मंगलकारी माना जाता है।
किसान इस दिन से नई फसल की शुरुआत का प्रतीक मानते हैं।
इस दिन माँ सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा की विधि निम्नलिखित है:
प्रातः स्नान और संकल्प: स्नान कर साफ पीले वस्त्र धारण करें और पूजा का संकल्प लें।
माँ सरस्वती की मूर्ति स्थापना: माँ सरस्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
पूजन सामग्री: सफेद और पीले फूल, अक्षत, हल्दी, कुमकुम, दुग्ध, धूप और दीप अर्पित करें।
सरस्वती वंदना और मंत्र: माँ सरस्वती के मंत्र और भजन का उच्चारण करें।
वीणा, पुस्तक, लेखनी की पूजा: विद्यार्थी और कलाकार अपने अध्ययन और कला-संबंधी वस्तुओं की पूजा करें।
भोग और प्रसाद: केसर युक्त मीठे व्यंजन जैसे खीर, मालपुआ आदि का भोग लगाएं।
पीले वस्त्र धारण करें: इस दिन पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
इस दिन बच्चे की शिक्षा आरंभ करने को शुभ माना जाता है, जिसे "विद्यारंभ संस्कार" कहा जाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन श्रीराम ने माँ सीता की खोज के लिए सरस्वती माता की आराधना की थी।
इस दिन पतंगबाजी की परंपरा भी कई स्थानों पर देखने को मिलती है।
वसंत पंचमी माँ सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना कर विद्या और ज्ञान प्राप्ति की कामना की जाती है।
माँ सरस्वती की पूजा करें।
पीले वस्त्र धारण करें।
छात्रों और कलाकारों के लिए यह दिन विशेष रूप से पूजा करने के लिए शुभ है।
शुभ कार्यों और विद्यारंभ संस्कार के लिए यह दिन उत्तम है।
केसरयुक्त मिठाइयाँ, हलवा, मालपुआ और पीले चावल का सेवन करना शुभ माना जाता है।
हाँ, यह दिन विवाह और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।